10 December, 2007

गाँवों के लिये डाक्टरों का 'निर्माण'


हाल में ही भारत के चिकित्सकों एवं चिकित्सा-छात्रों द्वारा गाँवों में काम करने का विरोध किया गया। यह अत्यन्त निन्दनीय है और इसका विरोध होना चाहिये। किन्तु इससे अधिक आवश्यकता भविष्य में चेतने और सम्यक योजना बनाने की है कि ऐसी स्थिति ही निर्मित न होने दी जाय।


इस सन्दर्भ में मेरे कुछ सुझाव हैं:

०) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों का बाकायदा 'ग्रामीण विद्यालय' के रूप में चिन्हित किया जाय।

१) इन विद्यालयों में पढ़े विद्यार्थियों को मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिये कम से कम ५०% का आरक्षण हो।

२) इस आरक्षण के विरुद्ध उनसे शपथ-पत्र भरवा लिया जाय कि उन्हे ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम १० वर्ष तक सेवा देनी होगी।

३) ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के बदले उन्हें 'असुविधा बोनस' दिया जाय।

४) इसी तरह की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाने के लिये अध्यापकों के लिये की जा सकती है।


मेरा मानना है कि भारत में सबसे पहले दो ही 'वर्ग' हैं: शहरी और ग्रामीण । अन्य वर्ग इसके बाद आते हैं।



3 comments:

Shastri JC Philip said...

हिन्दुस्तान में जितने लोग सरकारी खर्च पर डाक्टर बनते हैं उनके लिये गांवों मे सेवा अनिवार्य होनी चाहिये. एक डॉक्टर की ट्रेनिंग के लिये जनता का लगभग 10 से 20 लाख रुपया खर्च होता है जो इन विद्यार्थीयों की जेब से नहीं आता है. बिना यह ऋण उतारे उनको छोडना ठीक नहीं है

बालकिशन said...

अच्छे विचार है. इनके आधार पर एक सार्थक शुरवात हो सकती है.

Sanjay Karere said...

पहला वर्ग ग्रामीणों का ही है. शहरी वर्ग तो बाकी बचे लोगों से बन गया. स्‍कूलों में तो बरसों से पढ़ाया जा रहा है कि भारत गांवों में बसता है. लेकिन विडंबना है कि उन्‍हीं गांवों में जाकर काम करने के नाम पर डॉक्‍टर्स को एतराज है. आपने जो सुझाव दिए मैं उसमें यह संशोधन करना चाहूंगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने का प्रावधान कंपलसरी बना दिया जाना चाहिए और यह सब पर लागू होगा. छॉक्‍टर बनना है तो गांव में काम करना ही होगा वरना भूल जाओ. एक तरीका यह भी हो सकता है कि मेडिकल कॉलेज ही गावों में खोले जाएं. वहां सिर्फ ग्रामीण बच्‍चों को पढ़ने की सुविधा दी जाए और उन्‍हें गांवों में रहने के लिए शहरी डॉक्‍टरों से बेहतर सेलरी देकर काम भी दिया जाए. ऐसे बच्‍चों में अपने क्षेत्रों की वास्‍तविकता का ज्ञान होने के कारण काम करने की वास्‍तविक लगन होगी और वे इन शहरी डॉक्‍टरों से निस्‍संदेह बेहतर काम करेगे.
अनुनाद जी मैं इस संबंध में एक लेख अपने चिट्ठे पर लिख चुका हूं. दूसरा लेख शीघ्र लिखने वाला हूं और आपके यहां दिए गए सुझावों को उसमें शामिल करना चाहता हूं.यदि आपत्ति ना हो तो कृपया स्‍वीकृति देने का कष्‍ट करे. आभारी रहूंगा.